Navratri Parv Kaise Manaye नवरात्र पर्व कैसे मनाये

माता जगदंबे के  नवरात्र पर्व (Navratri Festival) वर्ष में दो बार आते है एक चैत्र माह में, दूसरा आश्विन माह में। नवरात्र पर्व (Navratri Festival) नौ दिनों तक चलता है और कई बार  8 दिनों तक भी होते है। 


पूजा की विधि (pooja ki vidhi)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के पहले  दिन स्नान आदि के बाद  गुरुदेव , इष्ट देव और धरती माता,को नमन करने के बाद गणेश भगवान्  जी का आहवान करना चाहिए. इसके बाद एक कलश की स्थापना करनी  चाहिए. इसके बाद कलश में आम के पत्ते व जल  डालें. कलश पर जल  वाले नारियल को लाल वस्त्र या फिर लाल मौली में बांध कर रखें. उसमें एक बादाम, दो सुपारी एक सिक्का जरूर रखे . इसके बाद मां सरस्वती, मां लक्ष्मी व मां काली  का आह्वान करें. देशी घी की जोत व धूप बत्ती जला कर देवी मां के सभी रूपों की पूजन  करें. नवरात्र के खत्म होने पर कलश के जल का घर में छींटा मारें और कन्या पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें.

नवरात्र पर्व  ९ देवीओ की अर्चना पूजा  

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के दिनों में देवी माता  के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते है  क्रमानुसार नवरात्र के  हर दिन के विषय में :-

पहले दिन:  माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के प्रथम दिन को माँ शैलपुत्री  देवी की आराधना की जाती है. पुराणों के अनुसार  हिमालय के तप से प्रसन्न होकर  माँ आद्या शक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में अवतरित हुई और   इनके पूजन के साथ नवरात्र का शुभारंभ होता है.

दूसरे दिन:  माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)

भगवान  शिव  को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए  माँ  पार्वती की कठिन तपस्या की  जिससे तीनों लोक उनके समक्ष नतमस्तक हो गए. देवी का यह रूप तपस्या के तेज से ज्योतिर्मय है. इनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला तथा बाएं में कमंडल है.

तीसरे दिन: माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta)

यह देवी माँ  का उग्र रूप है. इनके घंटे की ध्वनि सुनकर विनाशकारी शक्तियां तत्काल पलायन कर जाती हैं. व्याघ्र पर विराजमान और अनेक अस्त्रों शस्त्रों से सुसज्जित मां चंद्रघंटा भक्त की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहती हैं.

चौथे दिन:  माँ कूष्मांडा (Maa Kushmanda)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के चौथे दिन भगवती के इस अति विशिष्ट स्वरूप की आराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इनकी हंसी से ही पूरा ब्रह्माण्ड उत्पन्न हुआ था. अष्टभुजी माता कूष्मांडा के हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल, अमृत-कलश, चक्र तथा गदा है. इनके आठवें हाथ में मनोवांछित फल देने वाली जपमाला है.

पांचवे दिन:  माँ स्कंदमाता  (maa Skandmata)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के पांचवे दिन  को भगवती के पांचवें स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है. देवी के एक पुत्र कुमार कार्तिकेय (स्कंद) हैं, जिन्हें देवासुर-संग्राम में देवताओं का सेनापति बनाया गया था. इस रूप में देवी माँ  अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए बैठी होती हैं. माँ स्कंदमाता अपने भक्तों को शौर्य प्रदान करती हैं.

छठे दिन:  माँ कात्यायनी (Maa Katyayani)

कात्यायन ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर माँ  भगवती उनके यहां पुत्री के रूप में प्रकट हुई और माँ कात्यायनी कहलाई. माँ कात्यायनी का अवतरण महिषासुर वध के लिए हुआ था. यह देवी माँ अमोघ फलदायिनी हैं. भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने देवी कात्यायनी की आराधना की थी.ऐसी मान्यता है कि  जिन लडकियों की शादी न हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, वे कात्यायनी माता की उपासना करें.उनकी बाधा खत्म हो जाएगी। 

सातवें दिन:  माँ कालरात्रि (maa kaalratri)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के सातवें दिन सप्तमी को माँ कालरात्रि की आराधना की जाती  है. यह माँ भगवती का विकराल रूप है. गर्दभ (गदहे) पर सवार  यह देवी अपने हाथों में लोहे का कांटा तथा खड्ग (कटार)  लिए हुए हैं. इनके भयानक स्वरूप को देखकर विध्वंसक शक्तियां पलायन कर जाती हैं.

आठवें दिन:माँ  महागौरी (Maa Mahagauri)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) की अष्टमी को माँ महागौरी की आराधना का विधान है. यह भगवती का सौम्य रूप है. यह चतुर्भुजी माता वृषभ पर विराजमान हैं. इनके दो हाथों में त्रिशूल और डमरू है. अन्य दो हाथों द्वारा वर और अभय दान प्रदान कर रही हैं. भगवान शिव  को पति के रूप में पाने के लिए माँ भवानी ने अति कठोर तपस्या की, तब उनका रंग काला पड गया था. तब शिव जी ने गंगाजल द्वारा इनका अभिषेक किया तो माँ  गौरवर्ण  हो गई. इसीलिए इन्हें गौरी माँ   कहा जाता है.

नौवे दिन : माँ सिद्धिदात्री (maa siddhidatri)

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के अंतिम दिन नवमी को माँ भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजा  की  जाती है. इनकी किरपा  से ही समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं. अन्य देवी-देवता भी मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति की कामना से इनकी तपस्या  करते हैं. मां सिद्धिदात्री चतुर्भुजी हैं. अपनी चारों भुजाओं में वे शंख, चक्र, गदा और पद्म (कमल) धारण किए हुए हैं. कुछ धर्मग्रंथों में इनका वाहन सिंह बताया गया है, परंतु माता अपने लोक प्रचलित रूप में कमल पर बैठी (पद्मासना) दिखाई देती हैं. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है.

 नवरात्र व्रत  ( Navratri Vrat )के प्रकार 

नवरात्र में कई प्रकार से आप व्रत रख सकते है।  जो  प्रकार है :-

1.पहला प्रकार सप्‍तरात्र व्रत बताया गया है।यह व्रत प्रतिपदा से सप्‍तमी तक रखा जाता है।इस प्रकार से व्रत करने से संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

2.इसके अलावा जो लोग पूर्ण व्रत नहीं कर सकते हैं वे सिर्फ पंचमी को एकभुक्‍त व्रत कर सकते हैं।इस व्रत में आप एक वक्‍त भोजन कर सकते हैं।

3.षष्ठी को नक्तव्रत यानी की रात्रि भोजन के साथ व्रत और सप्तमी को अयाणित व्रत किया जा सकता है 

4.कुछ लोग जो सभी व्रत नहीं कर पाते तो वह लोग सप्तमी अष्टमी और नवमी का व्रत कर सकते है इसे तिरात्र व्रत कहा जाता है 

5.जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत रखते है उसे युग्मरात्र व्रत कहते है और वही जो लोग आरम्भ और समाप्ति का व्रत रखते है उसे  एकरात्र कहा जाता है 

नवरात्रि में क्या खाना चाहिए

सिंघारे का आटा

सिंघारे के आटे को व्रत में बहुत शुभ माना जाता है, व्रत में सिंघारे के आटे की पूरियां और हलवा बनाकर खाया जाता है। आप चाहे तो सिंघारे के आटे के पकौड़े भी बना सकती हैं। 

कुट्टू का आटा

कुट्टू के आटे को नवरात्रि के व्रत के दौरान सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके आटे का हलावा, पूरी और खिचड़ी बनाकर खाया जाता है। कुट्टू के आटे से बनी चीजें खाने से भूख कम लगती है।

साबूदाना 

लंच में साबूदाने से बना कोई व्यंजन दही के साथ लिया जा सकता है। अगर आपको फ्राई चीजें पसंद नहीं है तो आप साबूदाने की खिचड़ी भी बनाकर खा सकती हैं। 

ड्राई फ्रूट्सऔर मखाने  

नवरात्रि में ड्राई फ्रूट्स से बनी चीजें बहुत पसंद की जाती हैं। व्रत में मूंगफली और मखाना को तलकर खाया जाता है। नवरात्री के फास्ट में आप बीच-बीच में मखाने खा सकती हैं। 

आलू 

वैसे तो आलू हर एक व्रत में खाया जाता है लेकिन नवरात्रि पर आलू से बनी चीजें ज्यादा पसंद की जाती हैं। अगर आप आलू की सब्जी बनाकर नहीं खाना चाहती हैं तो आप आलू की चाट भी बना सकती हैं। 

शकरकंद 

आलू के अलावा शकरकंद भी व्रत में बहुत ज्यादा खाई जाती है। नवरात्रि के उपवास में साबूदाने से बना व्यंजन दही के साथ खाया जा सकता है। 

दूध और ग्रीन टी

नवरात्रों के टाइम पर आप नाश्ते में में दूध के साथ फल भी ले सकते  हैं या फिर आप चाहें तो दूध के साथ भीगे बादाम खा सकते  हैं लेकिन कोशिश करनी चाहिए आप व्रत में एक बार दूध जरूर पीए। खाली पेट ज्यादा चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए उसके बदले आप ग्रीन टी पी सकत हैं। 

सावधानी 

भूलकर भी   नवरात्रों में  प्याज लहसुन या उससे  से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए। भूलकर भी इस दौरान मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए।नवरात्रों में व्रत के दौरान अधिक तला-भुना नहीं खाना चाहिए,इस दिन आप सात्विक रहे और ब्रह्चर्य का पालन करे.

नौ देवियों की भी यात्रा 

इसके अतिरिक्त नौ देवियों की भी यात्रा की जाती है जोकि दुर्गा देवी के विभिन्न स्वरूपों व अवतारों का प्रतिनिधित्व करती है:

1.माता वैष्णो देवी जम्मू कटरा

2.माता चामुण्डा देवी हिमाचल प्रदेश

3.माँ वज्रेश्वरी कांगड़ा वाली

4.माँ ज्वालामुखी देवी हिमाचल प्रदेश

5.माँ चिंतापुरनी उना

6.माँ नयना देवी बिलासपुर

7.माँ मनसा देवी पंचकुला

8.माँ कालिका देवी कालका

9.माँ शाकम्भरी देवी सहारनपुर

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